त्रिफला क्या है फायदे , नुकसान

त्रिफला

  त्रिफला क्या है , फायदे और नुकसान

त्रिफला एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर लोग कब्ज़ दूर करने के लिए करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि यह सिर्फ़ कब्ज़ दूर करने की ही दवा नहीं है बल्कि इसके अनेकों फायदे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों पहले से त्रिफला का इस्तेमाल होता आया है। त्रिफला चूर्ण को आयुर्वेद में शरीर का कायाकल्प करने वाला रसायन औषधि माना गया है। इस लेख में हम आपको त्रिफला के फायदे और त्रिफला चूर्ण की खुराक के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

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त्रिफला क्या है ?



त्रिफला तीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है। ये तीन जड़ी बूटियों निम्न हैं :

1. आंवला

आंवला, पूरे देश में उपलब्ध सबसे सामान्य फलों में से एक है। इसे भारत में आमलकी के नाम से भी जाना जाता है। आंवला में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं और दुनियाभर में इसे विटामिन सी का सबसे बढिया स्रोत माना जाता है। आंवले के सेवन से पेट दुरुस्त रहता है और कब्ज से बचाव होता है। आंवला संक्रमण से भी लड़ने में मदद करता है एवं यह एक एंटी-एजिंग (बढ़ती उम्र के निशान घटाने वाला) फल के रूप में भी प्रसिद्ध है।
आंवला






2. विभीतकी (बहेडा


इसका पौधा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। चिकित्सकीय प्रणाली और आयुर्वेद में भी दर्द निवारक, एंटीऑक्सीडेंट और लिवर को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसे उपयोगी पाया गया है। सांस से संबंधित समस्याओं के इलाज में विभीतकी लाभकारी है एवं इसमें डायबिटीज को रोकने के गुण भी मौजूद हैं। आयुर्वेद के अनुसार विभीतकी फल में कई जैविक यौगिक मोजूद हैं जैसे कि ग्लूकोसाइड, टेनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि। इन यौगिकों के कारण ही विभीतकी स्वास्थ्य के लिए इतनी फायदेमंद होती है।


विभीतकी (बहेडा)






3. हरीतकी (हरड़)

आयुर्वेद में हरीतकी बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, सूजन-रोधी और बढ़ती उम्र को रोकने
के गुण मौजूद होते हैं साथ ही ये घाव को ठीक करने में भी उपयोगी है। ये लिवर को सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करती है। आयुर्वेद में इसे पेट, ह्रदय और मूत्राशय के लिए भी फायदेमंद माना गया है। यहां तक कि इसे 'औषधियों का राजा' भी कहा जाता है।

इन तीनों फलों के चूर्ण का मिश्रण ही त्रिफला कहलाता है। इसका सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।


हरीतकी








त्रिफला चूर्ण लेने के नियम


सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक " कहते हैं । क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में विटामिन ,आयरन,कैल्शियम,मिक्रोनुट्रिएंट्स की कमी को पूरा करता है।  एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए |सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड के साथ खाएं । 


रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है।  क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है |रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए ।  रात को गुनगुने पानी के साथ भी लिया जा सकता है ।


त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि


 त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें अमलकी (आंवला (Emblica officinalis)), बिभीतक (बहेडा) (Terminalia bellirica) और हरितकी  (हरड़ Terminalia chebula) के बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है "तीन फल"।

त्रिफला खाने के  फायदे



त्रिफला को हर उम्र के लोग रसायन औषधि के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा त्रिफला के नियमित सेवन से पेट से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है। यह औषधि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसे गंभीर रोगों में भी लाभकारी है। आइये इसके कुछ प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं । 

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के वनस्पति विज्ञान विभाग की एक अन्य रिपोर्ट ने पाया कि कैंसर कोशिका-रेखाओं पर "त्रिफला" का साइटोटॉक्सिक प्रभाव बहुत अच्छा था । त्रिफला रेडिएशन के प्रभाव कम करने की ताकत रखता है । 

आंखों के लिए फायदेमंद


  • शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगो दे सुबह मसल कर नितार कर इस जल से आँखों को धोने से नेत्रों की ज्योति बढती है।
  • सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण साफ़ मिट्टी के बर्तन में भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, इसे सुबह पी लें। इस पानी से आँखें भी धो ले। मुँह के छाले व आँखों की जलन कुछ ही समय में ठीक हो जायेंगे।
  • एक चम्मच बारीख त्रिफला चूर्ण, गाय का घी10 ग्राम व शहद 5 ग्राम एक साथ मिलाकर नियमित सेवन करने से आँखों का मोतियाबिंद, काँचबिंदु, दृष्टि दोष आदि नेत्ररोग दूर होते हैं। और बुढ़ापे तक आँखों की रोशनी अचल रहती है।

कब्ज़ दूर करने में सहायक


  • .रात को सोते वक्त 5 ग्राम (एक चम्मच भर) त्रिफला चूर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होती है।
  • .त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लें इससे कब्ज दूर होती है।

त्रिफला शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल

  • त्रिफला शरीर के आंतरिक अंगों की देखभाल कर सकता है, त्रिफला की तीनों जड़ीबूटियां आंतरिक सफाई को बढ़ावा देती हैं।
  • त्रिफला, तिल का तेल और शहद समान मात्रा में मिलाकर इस मिश्रण कि 10 ग्राम मात्रा हर रोज गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट, मासिक धर्म और दमे की तकलीफे दूर होती है इसे महीने भर लेने से शरीर का सुद्धिकरन हो जाता है और यदि 3 महीने तक नियमित सेवन करने से चेहरे पर कांती आ जाती है।

मुंह के रोग  दूर करने में सहायक 

  • एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास ताजे पानी में दो- तीन घंटे के लिए भिगो दे, इस पानी को घूंट भर मुंह में थोड़ी देर के लिए डाल कर अच्छे से कई बार घुमाये और इसे निकाल दे। कभी कभार त्रिफला चूर्ण से मंजन भी करें इससे मुँह आने की बीमारी, मुंह के छाले ठीक होंगे, अरूचि मिटेगी और मुख की दुर्गन्ध भी दूर होगी।
  • टॉन्सिल्स के रोगी को त्रिफला के पानी से बार-बार गरारे करवायें।

सिर दर्द कि समस्या दूर 

  • त्रिफला, हल्दी, चिरायता, नीम के भीतर की छाल और गिलोय इन सबको मिला कर मिश्रण को आधा किलो पानी में जब तक पकाएँ कि पानी आधा रह जाए और इसे छानकर कुछ दिन तक सुबह शाम गुड या शक्कर के साथ सेवन करने से सिर दर्द कि समस्या दूर हो जाती है।
  • 5 ग्राम त्रिफला पानी के साथ लेने से जीर्ण ज्वर के रोग ठीक होते है।

चर्मरोगों में आराम

  • चर्मरोगों में (दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी आदि) सुबह-शाम 6 से 8 ग्राम त्रिफला चूर्ण लेना चाहिए।
  • त्रिफला एंटिसेप्टिक की तरह से भी काम करता है। इस का काढ़ा बनाकर घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते है।
  • त्रिफला की राख शहद में मिलाकर गरमी से हुए त्वचा के चकतों पर लगाने से राहत मिलती है।

वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक

  • 200 एमएल पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर इसे रात भर के लिए रख दें। अगली सुबह इस पानी को तब तक उबालें जब तक यह घटकर आधा ना रह जाए। अब इस बचे मिश्रण को 2 चम्मच शहद के साथ लें। नियमित रूप से इसका सेवन करने पर कुछ ही हफ़्तों में मोटापा कम होने लगता है।   

दुर्बलता का नास

  • त्रिफला दुर्बलता का नास करता है और स्मृति को बढाता है। दुर्बलता का नास करने के लिए हरड़, बहेडा, आँवला, घी और शक्कर मिला कर खाना चाहिए। 

काले बालों के लिए 

  • एक लोहे की कढ़ाई में एक चम्मच त्रिफला पाउडर डाल लें और उसमें दो चम्मच पानी एड कर दें। इसे पूरी रात के लिए ऐसे ही छोड़ दें और सुबह उठ कर एक पेस्ट की तरह प्रयोग कर लें। यह बालों में प्राकृतिक रूप से कालापन देगा और इससे बाल झड़ने की समस्या भी कम होगी।

त्रिफला


ज़्यादा त्रिफला खाने से क्या नुकसान हैं?


1. त्रिफला से पाचनक्रिया पर असर पड़ सकता है। इसका ज़रूरत से ज़्यादा सेवन दस्त, पेट की तकलीफ, गैस और कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्रिफला एक हल्का लेक्सेटिव है, जिसे पाचन खराब हो सकता है। इसलिए अगर इस तरह के लक्षण महसूस हों, तो त्रिफला का सेवन रोक दें।

2. प्रेग्नेंसी के दौरान इससे कई तरह की समस्याएं शुरू हो सकती हैं। त्रिफला में हरतकी नामक एक तत्व होता है, जो गर्भावस्था के दौरान सेवन के लिए सुरक्षित नहीं है।

3. त्रिफला के सेवन से आपका ब्लड प्रेशर गिर सकता है। त्रिफला पाउडर में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, लेकिन इसकी ज़्यादा मात्रा के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है। ब्लड प्रेशर के स्तर का गिरना एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता है। 

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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